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मर्डर एक प्रेम कहानी (सीजन-3) ep- 4

राज हॉल में बैठे कॉफी बनकर आने का इंतजार कर रहा था। इंतजार करते करते वो आकांक्षा के कमरे को देख रहा था। देखते देखते उसकी नजर पड़ी संजना के दीवार पर टँकी एक फोटो पर, वो फ़ोटो नही थी, एक पेंटिंग थी….जिसपर एक आदमी और एक औरत कि पेन्टिंग बनाई थी, और उसमे आकांक्षा ने अपना नाम लिखा था,

पेंटिंग देखते ही राज को याद आया कि दिव्या को भी बहुत शौक था पेंटिंग बनाने का।

एक दिन दिव्या ने एक छोटी सी बिल्ली की पेंटिंग बनाई जो कि बहुत सुंदर लग रही थी। उसने राज को दिखाते हुए कहा।
दिव्या- "राज , देखो मैंने क्या बनाया है…."
राज- (मजाक करते हुए)- अरे वाह……खुद के जैसी बना ली….
दिव्या- शट-अप……कैट है वो
राज- लेकिन क्यूट भी तो है।
दिव्या- इतनी भी अच्छी नही है।
राज- हो भी नही सकती।
दिव्या- क्या हो यार तुम….अभी तो कह रहे थे क्यूट है।
राज- हाँ तो तुमसे ज्यादा नही है ना।
दिव्या- यार सच्ची सच्ची बोलो कैट कैसी लग रही…….
राज- बहुत खूबसूरत, कसम से।
दिव्या-(हंसते हुए) झूठी कसम खाओगे तो पेंटिंग से बाहर आकर काटेगी….ध्यान रखना।
राज- उसे बाहर आने की कोई जरूरत नही है, तुम एक काम करो मुझे भी उसके अंदर बना दो….वैसे भी मेरे नाम पर जोकर तो पहले भी बहुत बनाये है.……

    राज पेंटिंग के पास किसी सोच में डूबा हुआ खड़ा था । तभी आकांक्षा कॉफी लेकर आई। उसने कॉफी लेकर टेबल में रखा। प्लेट रखने की आहट से एकदम चौकते हुए राज में पीछे मुड़कर देखा तो आकांक्षा सोफे पर बैठती नजर आयी।

राज- ये तस्वीर आपने बनाई है।
आकांक्षा- ऐसा क्या है? इस तस्वीर में, जो मैं नही बना सकती। ऑफकोर्स मैंने बनाई है।
राज- (राज तस्वीर को देखते हुए) बहुत सुंदर तस्वीर है।
आकांक्षा- शुक्रिया…. (कॉफी पकड़ाते हुए) ये लीजिये कॉफी।
राज- जी थेँक्स……

अब थोड़ी देर तक राज कुछ नही बोला, ना ही आकांक्षा कुछ बोली, राज ना जाने क्यो उस तस्वीर को पढ़ने की कोशिश में लगा हुआ था।

आकांक्षा- लगता है आप कुछ ज्यादा ही सोच रहे है उस तस्वीर के बारे में…. इनसे भी कोई पुरानी याद जुड़ी है क्या

राज- कोई एक नही बहुत सारी….बहुत सारी यादें ताजा कर दी….
आकांक्षा- चलो किसी को तो पसंद आई मेरी पेंटिंग….

राज कुछ बोलता की शिला की कॉल एक बार फिर आ गयी। राज ने फोन उठा लिया।

राज- गुड मॉर्निंग….
शिला- मॉर्निंग से कहां गायब हो आज।
राज- बस ऐसे ही ,तुम तो जानती हो प्रोग्राम का….सुबह आलस आता है।
शिला- आलस आता था, लेकिन सुबह आठ बजे से गायब हो तुम, मुझे तो मौसी की बात पर यकीन नही आया कि आप आठ बजे उठे आज, रात को प्रोग्राम करने के बाद भी।
राज- अच्छा मौसी से हुई बात तुम्हारी
शिला- तुम इतना धीरे क्यो बोल रहे हो, मीटिंग में हो क्या कहीं।
राज- हाँ….हाँ….मैं करता हूँ कॉल थोड़ी देर में।
शिला- सुनो तो सही, हैप्पी न्यू ईयर……देखना इस साल आप और ज्यादा तरक्की करोगे, सुपर डुपर हिट परफॉर्मेंस होंगी सारी, गॉड ब्लेस् यू….
राज- सेम टू यू….तुम शूटिंग पर हो क्या??
शिला- नही,  मैं  दिदी और जीजू तीनो जा रहे है किसी फंक्शन में….जीजू को नई ईयर पर बुलाया है किसी ने।
राज- तो तुम्हारा जाना भी जरूरी है क्या….कितनी बार कहा है पब्लिक प्लेस अवॉयड किया करो….पिछली बार का याद है ना, जहाँ दो घंटे का काम होता है चार लग जाते है।
शिला- डोन्ट वरी…. आप मीटिंग अटेंड करो….बाद में करना कॉल….बाय टेक केयर.।
राज- बाय….

(फोन कट जाता है)

राज- सो सॉरी…बाय-द-वे हैप्पी न्यू ईयर, भगवान आपको वो सारी खुशी दे जो आप ख्वाबो में देखते हो।
आकांक्षा- सेम टू यु, लेकिन तुम से आप मे जाने का सफर काफी छोटा था,
राज- मतलब??
आकांक्षा- अभी तक आप मुझे तुम तुम बोल रहे थे,
थोड़ी  दे पहले तुम बोलने के बाद अब आप मुझे आप आप बोलने लगे।
राज- तब मुझे आप मेरी दिव्या लग रही थी, मैं दिव्या से तुम बोलकर बात करता था, लेकिन अब आपको दिव्या की लाइफ याद नही , मैं आकांक्षा से किस हक से तुम बोल दूँ।
आकांक्षा- आप तुम बुला सकते हो, मुझे कोई प्रॉब्लम नही है।
राज- (धीरे से) काश दिव्या भी बुला पाता।
आकांक्षा- प्लीज़ सर….यु आर ए बिग सिंगर….ऐसी बातें मत कीजिये कि आप एक बेबस और लाचार लगो….और ऐसा क्या था उस दिव्या में जो आप उसके खातिर दर दर भटकने लगे हो।
राज- (हसंते हुए) क्या था उसमें….हहह….उसमे क्या था तो उसके नही होने के बाद पता लगा मुझे…उसमे मैं था……वो जब भी सोचती थी सिर्फ मेरे बारे में सोचती थी, खुद को भूल गयी थी वो मेरे लिए…….शायद सच्चे प्यार की किम्मत उसे खोने के बाद ही पता लगनी होती है,

आकांक्षा- लेकिन आप तो शिला से प्यार करते हो, वो आपकी वाइफ है, एंड वो एक अच्छी बीवी है आपका बहुत ख्याल रखती है आप ही कहते हो इंटरव्यू में….

राज- हम्म, बहुत ख्याल रखती है, दिव्या बनकर रहती है मेरे साथ, मैं खुद शुरू शुरू में उसे भी दिव्या दिव्या बोल देता था। हमारी शादी हुई है उसके बहुत सारे कारण है, एक तो उसने मुझे दिव्या के यादों के साथ एक्सेप्ट किया था, दूसरा हर सेट पर, हर शूट पर हम दोनो की चर्चाएं थी। हम अच्छे दोस्त थे  लेकिन अफवाहें ना जाने क्या क्या……

आकांक्षा- चलो जो भी है। मुझे इससे क्या लेना, लेकिन प्लीज अब आप ये अफवाह मत फैला देना की दिव्या जिंदा है…. मैं आकांक्षा हूँ, खुश हूं…

राज- मैं खुद भी भूल जाने की कोशिश करूंगा कि दिव्या जिंदा है, लेकिन मुझे खुशी हुई ये जानकर… और मैं तो हमेशा से दिव्या को खुश देखना चाहता था। आप खुश हो ये खुशी की बात है,

राज ने कहा और राज जाने के लिए उठने लगा, तभी उसे याद आया कि वो एक नेटलेस लेकर आया था, जो गाड़ी में रह गया है।

राज- ऊफ़ सॉरी….मैं हैप्पी न्यूयर के उपलक्ष्य पर आपके लिए एक छोटा से गिफ्ट लाया था, अंदर लाना भूल गया….आप यही रुको मैं अभी आया।
(कहते हुए राज बाहर की तरफ गया)

आकांक्षा- (आवाज लगाते हुए) - लेकिन क्यो???

(राज बिना कुछ सुने बाहर चला गया।)

थोड़ी ही देर में-

(राज दोबारा अंदर आया तो उसके हाथ मे एक गिफ्ट पैकेज था। जिसमे आकांक्षा नाम लिखा था और कोष्ठक में दिव्या भी लिखा था)

राज- प्लीज मेरे जाने के बाद खोलना….अभी नही….और आपकी खुशी के लिए मैं ये बात खुद के अलावा किसी को नही बताऊंगा, लेकिन आपको बदले में इस गिफ्ट को एक्सेप्ट करना होगा।

आकांक्षा- पक्का किसी को नही बताओगे ना….?
राज- प्रॉमिस
आकांक्षा-  ओके थेँक्स….शिला जी को भी मत बताना, आपकी दिव्या तो वही है अब।
राज- ओके, नही बताऊंगा, लेकिन प्लीज एक बार अपने पापा से तो मिल लो, वो बहुत खुश होंगे तुमसे मिलकर।
आकांक्षा- प्लीज सर….हाथ जोड़ती हूँ आपके, फिर से मुझे मम्मी पापा के चक्कर मे मत फंसाओ प्लीज….जब तक मुझे सब याद नही आ जाता मैं किसी को अपना नही मान सकती….
राज- लेकिन याद तो तब आएगा ना जब कोशिश करेंगे,आपने अपने दिमाग में सेट कर रखा है कि तुम कुछ याद नही करना चाहती कैसे आएगा याद।

आकांक्षा- (शायराना अंदाज में)

बड़ी मुश्किल से भूली हूँ अपनो के दिए जख्म
अब दोबारा याद कर उन्हें हरा नही करेंगे हम
वो चाहत अब नही जागेगी पुरानी खुशियों को पाने की
जिंदगी जीने के लिए काफी है ये नया सा एक गम

(राज के पास ताली बजाने के शिवा कुछ नही था….)

राज- (ताली बजाते हुए) - पेंटिंग के साथ शायरी भी….वाह….बहुत खूब।
आकांक्षा- ह्म्म्म थेँक्स….लेकिन ये मेरी नही किसी और की ग़ज़ल है, पढ़ी थी इंटरनेट पर कभी, याद रह गयी।

राज- मुझे भी याद रखना….शायद फिर कभी मिलने आ पहुँचूँ….दिव्या समझकर।
आकांक्षा- प्लीज जब भी आईयेगा बताकर आईयेगा….क्या पता मैं घर पर होऊ या नही। बेकार में आपका आना जाना होगा।
राज- ओके…अभी मैं चलता हूँ .बाय, टेक केयर …
आकांक्षा- ओके सर….लेकिन जाते जाते ऑटोग्राफ तो दे जाओ……
राज- (मुस्कराते हुए पिछे मुड़ा और उसी से पेन लेकर उसे दिए गिफ्ट के नेमचिट् पर अपने सिग्नेचर करते हुए सोचता है) तुम्हे  क्या लगता है दिव्या हमारी फिर मुलाकात नही होगी क्या….अब तो जब तक तुम्हे सब याद नही आ जाता मैं चैन से नही बैठूंगा….तुम्हे सब याद दिलाने के बाद ही शायद चैन आएगा….मैं तुम्हे एक बार फिर अकेले छोड़कर कही नही जाऊंगा।

(राज ने सिग्नेचर किये और विदा लेकर  चल पड़ा। )

*****

कहानी जारी है


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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

15-Jun-2022 06:25 PM

बेहतरीन

Reply

Gunjan Kamal

15-Jun-2022 03:40 PM

बेहतरीन भाग

Reply

Pallavi

15-Jun-2022 10:36 AM

Nicely written

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